आप से एक बार मिल कर दिल मेरा जाता गया
रोकना चाहा बहुत पर हाथ से जाता रहा .
आपका आँचल हवा में सिम्त लहराता रहा,
एक झोका खुशबुओं का इस तरफ आता रहा .
यूं तो मुद्दत हो चुकी है आपसे मिल कर हमें
आप का एहसास फिर भी दिल को बहलाता रहा .
मैं ज़माने से लड़ा हूँ जिसकी मुहब्बत के लिए
वेबफा वो दूर से ही दिल को तरसाता रहा .
क्या मिला है मुझ को अपनी इस वफ़ा का सिला
गैर की बाहों में रह कर मुझ को तडफाता रहा
रोकना चाहा बहुत पर हाथ से जाता रहा .
आपका आँचल हवा में सिम्त लहराता रहा,
एक झोका खुशबुओं का इस तरफ आता रहा .
यूं तो मुद्दत हो चुकी है आपसे मिल कर हमें
आप का एहसास फिर भी दिल को बहलाता रहा .
मैं ज़माने से लड़ा हूँ जिसकी मुहब्बत के लिए
वेबफा वो दूर से ही दिल को तरसाता रहा .
क्या मिला है मुझ को अपनी इस वफ़ा का सिला
गैर की बाहों में रह कर मुझ को तडफाता रहा
कॉपी राईट ----- प्रदीप गुप्ता